निजी जानकारी साझा करने के लिए यूजर्स के साथ चालाकी कर रहे फेसबुक-गूगल
नार्वेजियन कंज्यूमर काउंसिल ने अपने अध्ययन में यह निष्कर्ष निकाला है। इसके अनुसार ये कंपनियां उपयोगकर्ताओं को सीमित ‘डिफाल्ट ’ विकल्प ही उपलब्ध करवा रही हैं
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